अब तो यकीं नहीं रहा, मेरा तुझ पर ए मेरे खुदा,
पुकारता रहा मैं मदद के लिए तुझे, और तू,
गैरों की तक़दीर लिखता रहा |
संजय सिंह “भारतीय”
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