करता रहा मदद मैं जिनकी, इंसानियत समझ कर,
उन्होंने खुद मुझे, दुनिया की नज़र में शैतान बना डाला,
अभी कम थी क्या मुशीबतें मेरी,जो और नया इलज़ाम लगा डाला
You must be logged in to post a comment.
Read Comments