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काग- वचन

संजय सिंह "कवि मन"
संजय सिंह "कवि मन"
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कागवचन

संसद में जब चल रही थी चर्चा,

तब एक कौवा कर रहा था, अट्टहास,

कौवों को नेताओ से बता रहा था खास |

बोला अपने मित्रो से वह,

हमसे ज्यादा लड़ते है वो, करते दिन भर केवल बकवास |

ईश्वर ने जिनको इंसान बना कर, दे डाला बुद्धि का वरदान,

देखो उस ईश्वर का भी, इन्होंने , कैसे कर डाला अपमान |

केवल दिन भर चेष्टा इनकी, कैसे देश को लूटा जाये,

कर डाला बदनाम इन्होने, हमको, इसको काक चेष्टा बतलाये।

मिल-जुल कर तो रहते तब तक, जब तक माल न इनको मिल जाये।

इसके बाद जो लड़ते-भिड़ते, देखो कौवा भी शर्माये।

अपनी ही जाती के शत्रु खुद, दिया ऊँच -नीच का भेद बनाये।

करते हरकते पशुओं वाली,पर फिर भी कौवा गाली खाये।

हम तो खाते,केवल, जूठन कचरा, पर ये तो ,कोयला, तक लिए पचाये।

मौका परस्ति तो कोई इनसे सीखे,बात-बात पर बदल जाये।

बिन पेंदी के लोटे हैं सब, न जाने किस ओर लुढ़क जायें।

फिर एकदम सख्त होकर उसने, एक फरमान सुना डाला,

अपनी जाति की माता-बेटी, बहु-बहनों सबको घर से बुला डाला।

बोला कड़क कर वह,

देखो,

आज के बाद हमारे समाज की कोई भी महिला,

इनके घर दाना चुगने तक न जाये।

और हो सके तो इनसे , कम से कम,

200 गज फासला तो जरुर बनाये।

इनकी प्रकृति का नहीं भरोसा, न जाने किस पर दे, बुरी नज़र गडाये।

इज्ज़त तो जाएगी ही अपनी, हो सकता है, यह चुनावी मुद्दा भी बन जाये।

बच्चों को तो इनकी छाया से भी रक्खो दूर, न जाने कौन से गुण सीख जाये।

हम तो केवल जांति कौवे की, पर सन्तान हमारी कही नेता न बन जाये।

करी जो तुलना अपनी नेताओ से, तो, हैरत में था वो आया, थोडा घबराया,चकराया,

और बोला प्रभु देखी तेरी माया,

याद आये आज वचन तुम्हारे, जो तुमने राम रूप में था बतलाया।

की हंस चुगेगा दाना- तिनका, कौवा मोती खायेगा,

राज करेगा दुनिया पर वह ,एक दिन, जिस दिन कलयुग आयेगा।

पर भूल तुम्हारी ही थी शायद, जो दुनिया को पता भी नहीं सही बतलाया।

बैठाया संसद में उनको, पर पता जंगल का बतलाया,

पत्थर खाकर जिदगी बीती, और आंसू पीकर प्यास,

यह रूप कौवे का हमारे लिए, भला क्यूँ बन गया  अभिशाप।

फिर इस्तेमाल की उसने नेता बुद्धि,और इश्वर को भी भरमाया,

भाई है,वो हमारे जिनको संसद में तुमने बैठाया |

भला दूर हम उनसे अब रहेंगे,कैसे ,

अब तो करो कोई उपाय, या तो भेजो जंगल में इनको,

या फिर राष्ट्रीय पंछी दो हमें बनाये।

प्रस्तुति

संजयसिंहभारतीय

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